Microsoft की नौकरी छोड़ बेचने लगा चश्मा, आज है अरबों का मालिक - lenskart success story

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Thursday 22 July 2021
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Economist Richard Cantillon ने entrepreneur को परिभाष‍ित करते हुए कहा था कि, - वही व्यक्त‍ि entrepreneur है जो Risk उठा सकता है। Lenskart के C.E.O. पीयूष बंसल इसके लिए आदर्श उदाहरण हैं। आज आप रहस्य कम्युनिटी में पीयूष बंसल और लेंसकार्ट के Successful होने की कहानी सुनने वाले हैं।

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2020 के आंकड़ों के अनुसार लेंसकार्ट की Total Revenue ( 132 मिलियन US $) यानी की 967 crores रूपए आँकी गयी थी। साथ ही साथ इसकी net income ( 2.57 million US $ ) अर्थात ₹ 18 crores को पार कर चुकी है। तो कैसे हुआ लेंसकार्ट इतना successful आइये जानते है लेंसकार्ट के सफलता की कहानी Shubham Shukla की जुबानी। नमस्कार दोस्तों Rahasya Community से मैं हूँ शुभम शुक्ल और चलिए शुरू करते हैं आज की Case Study.

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हम बात कर रहे है दिल्ली में रहने वाले पीयूष बंसल की। पीयूष बंसल ने एक ऐसे Business की शुरुआत की, जिसे इससे पहले कभी नहीं आजमाया गया था। लेकिन पीयूष ने अपने इस startup को शुरू करने से पहले इसके सभी पहलुओं की अच्छे से जांच करने के बाद ही अपना ऑनलाइन चश्मा बेचने का Business शुरू किया।

पीयूष का जन्म Delhi के एक शिक्षित परिवार में हुआ था। इनके पिता Chartered Accountant थे पीयूष के पिता की हमेशा से एक ही चाहत थी की उनका बेटा भी उनकी तरह पढ़ लिख कर एक बड़ा आदमी बने। शुरुआती शिक्षा Complete होने के बाद पिता ने पीयूष को आगे की पढ़ाई के लिए कनाडा भेज दिया। वहां से पीयूष ने इंजीनियरिंग की Degree हासिल की इसके बाद पीयूष ने अपनी पहली नौकरी Microsoft में की।

दुनिया की बड़ी कंपनी होने के कारण पीयूष को यहां पर लाखो का पैकेज मिल रहा था। लेकिन पीयूष इस काम से खुश नहीं था क्यूंकि वो जिंदगी में एक खुद का स्टार्टअप शुरू करना चाहता था। पीयूष का सपना उसे चैन से बैठने नहीं देता था और इसी सपने को पूरा करने के लिए २००७ में पीयूष अपनी job छोड़कर भारत आ गया। जब पीयूष भारत आया तब यह सब देखकर उसके पिता उससे काफी नाराज हुए। लेकिन पीयूष ने अपने पिता को अपनी सारी बात बताई और पिता को मना लिया।

अब पीयूष अपने startup की शुरुआत करने में लग गया उसकी मेहनत और बिज़नेस के प्रति लगाव ही था जो उसके पिता इस कार्य के लिए मान गये। उस दौर में भारत में E-commerce एक Concept था और पीयूष को भी इस क्षेत्र में कुछ करने का मन था। इसलिए पीयूष ने एक वेबसाइट Searchmycampus.com का निर्माण किया। यह वेबसाइट छात्रों के लिए बनाई गयी थी, इसमें हॉस्टल से लेकर किताबों, और पार्ट टाइम जॉब के बारे जानकारी मिलती थी। इस काम में पीयूष सफल तो हुआ लेकिन उतना सफल नहीं हुआ जितना की वह उम्मीद लगाया था।

Searchmycampus.com को 3 साल चलाने के बाद वर्ष 2010 में पीयूष एक साथ चार वेबसाइट शुरू किया। ये चार वेबसाइट Eyewear, Jewelery, Watches and Bags के लिए थीं। लेकिन मार्केट रिसर्च करने के बाद पीयूष आईवियर को अपनी प्रायोरिटी बना ली और उसी पर Focus करने लगे।

ये सफर इतना आसान नहीं था। चश्मा तैयार करना , Order के बाद घर-घर जाकर आंखों की जांच करना, फिर ग्राहकों की संतुष्टि के बाद आइटम डिलीवर करना। प्रारंभिक स्तर पर बहुत अधिक Manpower की आवश्यकता थी। दरअसल, उन दिनों ऑनलाइन शॉपिंग बहुत ज्यादा पॉपुलर नहीं थी इसलिए लोग ऑनलाइन ज्यादा खरीदारी नहीं करते थे। और ऐसे market condition में पीयूष ने ऐसा बिज़नेस concept चुना शायद उस टाइम ये concept बहुत हट के था इसलिए आज ये एक बड़ा empire बन चूका है। और बाजार की ऐसी हालत में पीयूष ने ऐसा बिजनेस कॉन्सेप्ट चुना। शायद उस समय यह अवधारणा बहुत अलग थी, इसलिए आज यह एक बड़ा Empire बन चूका है।

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अब पियूष की मेहनत धीरे धीरे रंग लाने लगी। और कुछ सालो में लेंसकार्ट का बिजनेस बढ़िया चल पड़ा। इसी बीच लेंसकार्ट ने Advertisement में कुछ ज्यादा ही खर्चा कर दिया जिसकी वजह से इस दौरान company को कुछ हद तक नुकसान भी उठाना पड़ा। पर कुछ सालो में कंपनी अपने इस नुकसान की recovery कर लीं। और आज लेंसकार्ट हर महीने करीब 1,50,000 चश्मा बेचता है। साल 2015 के आंकड़ों के अनुसार लेंसकार्ट की नेट वर्थ 1000 करोड़ डॉलर हो चुकी थी।

आज देशभर में लेंसकार्ट के ऑफलाइन आउटलेट्स 1500 से ज्यादा शहरों में हैं। फ्रेंचाइजी मॉडल को अपनाते हुए लेंसकार्ट देश के हर शहर में अपने कारोबार का विस्तार कर रहा है। लेंसकार्ट, आई चेकअप की सुविधा भी मुहैया कराती है। आज लेंसकार्ट के 4,000+ Number of employees हो चुके है। आज लेंसकार्ट ब्रांड बन चुका।

तो ये थी लेंसकार्ट के सक्सेस की कहानी। और इस केस स्टडी से हमें यह पता चलता है की लाइफ में यदि सपने पूरे करने है तो Risk लेना पड़ेगा। और सिर्फ रिस्क ही नहीं अपने सपने के बारे में सही रिसर्च भी जरूरी है। सीखते रहिये पढ़ते रहिये जीवन को बदल कर रख देने वाले किस्से-कहानियाँ। मैं मिलूंगा आपसे अगली कहानी में।.....Take Care By-By

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