जगन्नाथ की रथ यात्रा
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Sunday, 11 July 2021
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रथ यात्रा क्यों मनाया जाता है और कौन से दिन है?
रथ यात्रा के सन्दर्भ में शायद बहुत लोगों को पता भी हो परन्तु ऐसे बहुत ही कम लोग होंगे जिन्हें की ये पता हो की आखिर रथ यात्रा किसलिए मनाई जाती है? रथ यात्रा भारत में मनाया जाने वाला बहुत ही प्रसिद्ध त्यौवहार है। लेकिन बाकी पर्वों और रथ यात्रा में बहुत फर्क दिखाई पड़ता है, क्योंकि रथ यात्रा घरों अथवा मंदिरों में पूजा पाठ या व्रत करके मनाया जाने वाला पर्व या त्यौवहार नही है। इस पर्व को लोग इकट्ठे होकर मनाते है और रथ यात्रा निकालते है। इस पर्व में भारत देश के दो शहरों में रथ यात्राएं खास तौर से निकाली जाती हैं।
भारत देश के उड़ीसा राज्य के तटवर्ती शहर जगन्नाथपुरी में पालनहार भगवान जगन्नाथ का भव्य मंदिर है। इस शहर को मुख्यतः पुरी के नाम से भी जाना जाता है। पुरी में हर वर्ष भगवान जगन्नाथ की विशाल भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है। पुरी के जगन्नाथ मंदिर को भारत के ४ धामों में से एक माना गया है। हालांकि अहमदाबाद में भी भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का आयोजन हर साल किया जाता है, लेकिन जगन्नाथपुरी की रथ यात्रा ज्यादा प्रसिद्ध है। इसलिए आज मैं आप लोगों को रथ यात्रा के विषय में पूरी जानकारी प्रदान करने वाला हूँ। जिसमें रथ यात्रा क्या है, रथ यात्रा क्यों मनाया जाता है और इसे कैसे मनाया जाता है इत्यादि जानकारियां शामिल हैं। तो फिर बिना देरी किये चलिए शुरू करते हैं आज की कथा।
रथ यात्रा क्या है – What is Rath Yatra in Hindi
रथ यात्रा एक पर्व है जिसे मुख्यतः हिन्दू धर्मावलंबियों के द्वारा वर्ष में एक बार मनाया जाता है। यह पर्व बाकी त्यौवहारों से अलग माना जाता है क्योंकि, बाकी हिन्दू पर्व मुख्यतः अपने घरों अथवा मंदिरों में पूजन पाठन या व्रत रखकर मनाते हैं। लेकिन यह पर्व उन सबसे अलग पर्व है क्योंकि इस पर्व को सभी लोग इकट्ठे होकर उत्साह से रथ यात्रा निकाल कर मनाते है। इस त्यौहार को 10 दिनों तक मनाया जाता है। भारत में सबसे भव्य रथ यात्रा जगन्नाथपुरी में निकाली जाती हैं।
जगन्नाथपुरी शहर भारत के उड़ीसा राज्य में स्थित है जिसे शंख-क्षेत्र, श्री-क्षेत्र, पुरूषोत्तमपुरी इत्यादि नामों से जाना जाता है। भगवान जगन्नाथ को ही इस शहर के लोग प्रमुख देवता के रूप में मानते हैं और पुरी को भगवान जगन्नाथ जी की मुख्य लीला भूमि कहा जाता है। इस जगह का मुख्य पर्व भी भगवान जगन्नाथ की रात यात्रा ही है। रथ यात्रा पर्व बड़ी धूम धाम के साथ विशाल और भव्य रूप से मनाया जाता है। रथ यात्रा के दर्शन मात्र के लिए देश विदेश से लाखों भक्तजन आते हैं।
रथ यात्रा कब मनाया जाता है?
रथ यात्रा आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को जगन्नाथपुरी में प्रारम्भ होती है। यह रथयात्रा 10 दिनों तक चलती है। मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से दशमी तिथि तक भक्त-जनों के बीच रहते हैं। रथ यात्रा का उत्सव सैंकड़ों वर्षों से लगातार मनाया जाने वाला उत्सव है। हर वर्ष रथ यात्रा में शम्मिलित होने के लिए लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। आंकड़ों के अनुसार रथ यात्रा में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं की संख्या साल दर साल बढ़ती ही जा रही है।
भगवान जगन्नाथ महाराज को भगवान श्रीकृष्ण और राधा की युगल मूर्ति का रूप माना जाता है। रथ यात्रा की तैयारी प्रत्येक वर्ष बसंत पंचमी से ही शुरू कर दी जाती है। भगवान जगन्नाथ जी की रथ यात्रा के लिए नीम के चुनिंदा पेड़ की लकड़ियों से रथ बनाकर तैयार किया जाता है। रथ की लकड़ी के लिए अच्छे और शुभ पेड़ की पहचान की जाती है, जिसमे कील आदि न ठुके हों औररथ के निर्माण में किसी भी प्रकार की धातु का उपयोग नहीं किया जाता है।
रथ यात्रा क्यों मनाया जाता है
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का पर्व प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है। इस पर्व को मनाने के पीछे कुछ मान्यताएं प्रचलित है, जिसमें से सर्वाधिक प्रचलित मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा नें भगवान जगन्नाथ जी से द्वारका दर्शन करने की इच्छा प्रकट की जिसके फलस्वरूप भगवान जगन्नाथ ने सुभद्रा को रथ से भ्रमण करवाया तब से हर वर्ष इसी दिन जगन्नाथ यात्रा निकाली जाती है।
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के लिए 3 रथ तैयार किये जाते हैं। रथ यात्रा में सबसे आगे श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम का रथ रहता है जिसमें 14 पहिये रहते हैं और इसे तालध्वज कहा जाता हैं। दूसरा रथ 16 पहिये वाला भगवान श्रीकृष्ण का रहता है जिसे नंदीघोष या गरूणध्वज के नाम से जाना जाता है और तीसरा रथ भगवान श्रीकृष्ण की बहन सुभद्रा का रहता है जिसमें 12 पहिये रहते हैं और इसे दर्पदलन या पद्मरथ कहा जाता है। तीनों रथों को उनके रंग और लंबाई से पहचाना जाता है।
रथ यात्रा की कहानी
रथ यात्रा के पीछे एक पुरान किस्सा प्रचिलित है की ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन भगवान जगन्नाथ का जन्म हुआ था। उस दिन भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा को रत्नसिंहासन से उतार कर भगवान जगन्नाथ के मंदिर के पास बने स्नान मंडप में ले जाया जाता है। फिर 108 कलशों से उनका शाही स्नान होता है जिससे भगवान जगन्नाथ बीमार पड़ जाते हैं और उन्हें बुखार आ जाता है। इसके बाद भगवान जगन्नाथ को एक विशेष स्थान में रखा जाता है जिसे ओसर घर कहा जाता हैं।
15 दिन बाद भगवान जगन्नाथ स्वस्थ होकर घर से निकलते हैं और भक्तों को दर्शन देते हैं, इसे नवयौवन नेत्र उत्सव भी कहा जाता हैं। इसके बाद आषाढ़, शुक्ल की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ रथ में सवार होकर नगर भ्रमण के लिए निकलते हैं।
रथ यात्रा कैसे मनाया जाता है?
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के लिए 3 रथ तैयार किये जाते हैं। जब तीनों रथ तैयार हो जाते हैं तो ‘छर पहनरा’ अनुष्ठान किया जाता है। इन तीनों रथों की पूजा उपरांत सोने की झाड़ू से रथ और रास्ते को साफ किया जाता है। आषाढ़ माह, शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को रथ यात्रा का आरंभ होता है। ढोल नगाड़ों के साथ ये यात्रा निकाली जाती है और भक्तगण रथ को खींचकर पुन्य-लाभ अर्जित करते हैं।
रथ यात्रा जगन्नाथ मंदिर से शुरू होकर, पुरी शहर से होते हुए नगर भ्रमण कर गुंडीचा मंदिर तक पहुंचती है। 10वे दिन रथ को पुनः मंदिर की ओर प्रस्थान किया जाता हैं और 11वे दिन मंदिर के द्वार खोले जाते हैं। इस दिन भक्तगण स्नान कर भगवान के दर्शन किया करते हैं।
रथ यात्रा का महत्व
पुरी में स्थित वर्तमान मंदिर 800 वर्षों से भी अधिक पुराना है, जिसे चार पवित्र धामों में से एक माना गया है। कहा जाता है कि जिन भक्तों को रथ यात्रा का रथ खींचने का सौभाग्य मिलता है वे लोग बहुत भाग्यवान माने जाते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार रथ खींचने वालों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
ऐंसी मान्यता है कि इस दिन भगवान जगन्नाथ स्वयं नगर भ्रमण कर लोगों के बीच आते हैं और उनके सुख दुख में सहभागी बनते हैं। ऐंसा भी माना जाता है कि जो भक्तगण रथयात्रा में भगवान के दर्शन करते हुए एवं प्रणाम करते हुए रास्ते की धूल कीचड़ आदि में लोट-लोट कर जाते हैं उन्हें प्रभु श्री विष्णु के उत्तम धाम की प्राप्ति होती है।
सबसे खास बात यह है कि रथ यात्रा के दिन कोई भी मंदिर एवं घर में पूजा न कर सामूहिक रूप से इस पर्व को सम्पन्न करते हैं और इसमें किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाता है।
रथ यात्रा क्यों मनाते है? निष्कर्ष :-
इस आर्टिकल को लिखते सयम मेरी यही कोशिश रही है की पाठकों को रथ यात्रा के बारे में पूरी की पूरी जानकारी एक ही जगह पर मिल जाये ताकि उनका समय बच सके और उन्हें कही और ढूढने की आवश्यकता न पड़े। यदि आपके मन में इस आर्टिकल के प्रति कोई doubts है, या इस आर्टिकल में कोई सुधार की गुंजाइश हो तो हमें कमेंट में बताये हम जरूर सुधार करेंगे। और आपको हमारी मेहनत कितना प्रभावित की कृपया हमें कमेंट बॉक्स में अच्छे अच्छे कमेंट करके बताएं।
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