बुद्ध की कहानी - अछूत व्यक्ति Story on Untouchability in Hindi
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Saturday, 31 July 2021
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बुद्ध की कहानी - अछूत व्यक्ति
एक दिन गौतम बुद्ध अपने शिष्यों के साथ एकदम शांत अवस्था में बैठे हुए थे। उन्हें इस प्रकार शांत बैठे हुए देख उनके शिष्य चिंतित हुए कि कहीं वे अस्वस्थ तो नहीं हैं।
एक शिष्य ने गौतम बुद्ध से पूछा - कि आज आप मौन क्यों बैठे हैं। क्या शिष्यों से कोई गलती हो गई है ?
इसी बीच एक अन्य शिष्य ने पूछा - क्या आप अस्वस्थ हैं ?
पर बुद्ध मौन रहे।
तभी सभा से कुछ दूर खड़ा व्यक्ति जोर से चिल्लाया - आज मुझे सभा में बैठने की अनुमति क्यों नहीं दी गई है ?
बुद्ध आँखें बंद करके ध्यान मग्न रहते हैं और कुछ भी जवाब नहीं देते हैं।
वह व्यक्ति फिर से चिल्लाया, - मुझे प्रवेश की अनुमति क्यों नहीं मिली है ?
इस बीच एक उदार शिष्य ने उस व्यक्ति का पक्ष लेते हुए कहा कि उसे सभा में आने की अनुमति प्रदान की जाये।
बुद्ध ने आखें खोली और बोले - नहीं वह अछूत है, इसलिए उसे सभा में आने की आज्ञा नहीं दी जा सकती ।
गौतम बुद्ध के मुख से यह सुनकर शिष्यों को बड़ा ही आश्चर्य हुआ।
गौतम बुद्ध उनके मन का भाव समझ गए तथा बोले - हाँ वह अछूत है।
इस पर कई शिष्य बोले कि - हमारे धर्म में तो जात-पांत का कोई भेद ही नहीं है, फिर वह व्यक्ति अछूत कैसे हो गया ?
तब बुद्ध ने अपने शिष्यों से बोले - आज वह व्यक्ति क्रोधित हो कर आया है। क्रोध से जीवन की एकाग्रता भंग होती है। क्रोधी व्यक्ति प्रायः मानसिक हिंसा भी कर बैठता है। इसलिए जब तक वह क्रोध में रहता है तब तक अछूत होता है। अतः उसे कुछ समय एकांत में ही रहना चाहिए।
क्रोधित व्यक्ति भी गौतम बुद्ध की बातें सुन रहा था, पश्चाताप की अग्नि में तपकर वह समझ चुका था की अहिंसा ही परम धर्म व महान कर्तव्य है।
वह बुद्ध के चरणों में गिर पड़ा तथा उसने कभी भी क्रोध न करने की शपथ ली।
कहानी से आशय
आशय यह कि क्रोध के कारण मानव अनर्थ कर बैठता है और बाद में उसे पश्चाताप होता है। इसलिए हमें क्रोध नहीं करना चाहिए।
असल मायने में क्रोधित व्यक्ति अछूत हो जाता है और उसे कुछ देर अकेला ही छोड़ देना चाहिए। क्रोध करने से तन, मन और धन तीनों की हानि होती है। क्रोध से ज्यादा हानिकारक और कुछ नहीं है।
कहानी की सीख
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है की हमें कभी भी क्रोध नहीं करना चाहिए और जो व्यक्ति क्रोध में है उससे दूर रहना चाहिए जब तक की वह क्रोध में है
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