भैंस की मौत | Buffalo death - Best Life Changing Story in Hindi
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Friday, 27 August 2021
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एक दार्शनिक अपने शिष्य के साथ कहीं से गुजर रहा था। चलते-चलते वे एक खेत के पास पहुंचे। खेत अच्छी जगह स्थित था लेकिन उसकी हालत देखकर लगता था मानो उस खेत का मालिक उस पर जरा भी ध्यान नहीं देता है।
दोनों को प्यास लगी थी इसलिए वे खेत के बीचो-बीच बने एक टूटे-फूटे घर के सामने पहुंचे और दरवाज़ा खटखटाया।
अन्दर से एक आदमी निकला, उसके साथ उसकी पत्नी और तीन बच्चे भी थे। सभी ने फटे-पुराने कपड़े पहने हुए थे।
दार्शनिक बोला - श्रीमान, क्या हमें पानी मिल सकता है ? बहुत प्यास लगी है!”
ज़रूर !, आदमी उन्हें पानी का जग थमाते हुए बोला।
दार्शनिक ने प्रश्न किया - मैं देख रहा हूँ कि आपका खेत इनता बड़ा है पर इसमें कोई फसल नही बोई गयी है, और ना ही यहाँ फलों के वृक्ष दिखायी दे रहे हैं , तो आखिर आप लोगों का जीवन यापन कैसे होता है ?
आदमी ने कहा - जी, हमारे पास एक भैंस है, वह काफी दूध देती है उस दूध को पास के गाँव में बेच कर कुछ पैसे मिल जाते हैं और बचे हुए दूध का सेवन कर के हमारा गुजारा चल जाता है ।
दार्शनिक और शिष्य जैसे ही आगे बढ़ने को चले तभी आदमी बोला - रात होने वाली है, आप लोग चाहें तो आज रात यहीं रुक सकते हैं ।
दार्शनिक और उसका शिष्य आदमी के यहाँ रुकने के लिए तैयार हो गए।
आधी रात के के बाद जब सभी गहरी नींद में सो रहे थे तभी दार्शनिक ने शिष्य को उठाया और बोला - चलो हमें अभी यहाँ से चलना है, और चलने से पहले हम उस आदमी की भैंस को चट्टान से गिराकर मार डालेंगे ।
शिष्य को अपने गुरु की बात पर यकीन नहीं हो रहा था पर वह उनकी बात काट भी तो नहीं सकता था।
दोनों ने मिलकर भैंस को चट्टान से गिराकर मार दिया और भैंस को मार कर रातों-रात गायब हो गए ।
यह घटना दार्शनिक के शिष्य के मन में बैठ गयी और लगभग 12 साल बाद जब वह एक सफल उद्यमी बन गया तो उसने सोचा क्यों न अपनी गलती का पश्चाताप करने के लिए एक बार फिर उस आदमी से मिला जाए और उसकी आर्थिक मदद की जाए जिसकी भैंस को हमने मार दिया था ।
अगले दिन दार्शनिक का शिष्य अपनी कीमती चमचमाती कार से उस खेत के सामने पहुंचा जहाँ वह आदमी अपने परिवार के साथ टूटे फूटे झोपड़े में रहता था ।
दार्शनिक के शिष्य को अपनी आँखों पे यकीन नहीं हो रहा था। वह उजाड़ और खाली खेत अब फलों के बागीचे में बदल चुका था..., टूटे-फूटे घर की जगह एक शानदार बंगला खड़ा था और जहाँ वह अकेली भैंस बंधी रहती थी वहां अच्छी नस्ल की कई गाएं और भैंसें अपना चारा चर रही थीं ।
यह सब देखने के बाद दार्शनिक के शिष्य ने सोचा कि शायद भैंस के मरने के बाद उस आदमी ने अपनी सारी जमीन जायदाद बेच-बाच कर अपने परिवार को लेकर कहीं चला गया होगा ।
वापस लौटने के लिए जैसे ही दार्शनिक का शिष्य अपनी कार स्टार्ट करने लगा कि तभी उसे वह आदमी दिखा जो बारह साल पहले यहाँ रहता था।
दार्शनिक का शिष्य उस आदमी की तरफ बढ़ते हुए बोला - शायद आप मुझे पहचान नहीं पाए, सालों पहले मैं आपसे मिला था। ।
उस आदमी ने कहा - नहीं-नहीं, ऐसा बिलकुल नहीं है, मुझे अच्छी तरह याद है, आप और आपके गुरु यहाँ आये थे ..., कैसे भूल सकता हूँ उस दिन को जिस दिन ने तो मेरा जीवन ही बदल कर रख दिया। आप लोग तो बिना बताये ही चले गए पर उसी दिन ना जाने कैसे हमारी भैंस भी चट्टान से गिरकर मर गयी। कुछ दिन तो समझ ही नहीं आया कि क्या करें, पर जीवन जीने के लिए कुछ तो करना ही था, तो मैं लकड़ियाँ काट कर बेचने लगा, उससे कुछ पैसे मिले तो खेत में बोवाई कर दी.... सौभाग्य से फसल अच्छी निकल गयी, फसल बेचने पर जो पैसे मिले उससे फलों के बागीचे लगवा दिए और यह काम अच्छा चल पड़ा है और इस समय मैं आस-पास के हज़ार गांवों में सबसे बड़ा फल का व्यापारी हूँ.... सचमुच, अगर उस भैंस की मौत ना हुई होती ! तो ये सब कुछ ना होता , मैं अपने जीवन में इतना कभी नहीं कमा पता और न ही सफल हो पता ।
दार्शनिक के शिष्य ने आश्चर्य से पूछा - लेकिन यही काम आप पहले भी तो कर सकते थे ?
आदमी बोला - बिलकुल कर सकता था ! पर, तब ज़िन्दगी बिना उतनी मेहनत के आराम से चल रही थी, कभी मह्सूस ही नहीं हुआ कि मेरे अन्दर इतना कुछ करने की क्षमता है इसलिए कोशिश ही नहीं की पर, जब भैंस मर गयी तब कुछ करने के शिवाय और कोई रास्ता नहीं था हाथ-पाँव मारने पड़े और मुझ जैसा गरीब बेहाल इंसान इस मुकाम तक पहुँच पाया।
आज दार्शनिक का शिष्य अपने गुरु के उस निर्देश का असली मतलब समझ चुका था और बिना किसी पश्चाताप के उस आदमी के यहाँ से वापस लौट पा रहा था।
मित्रों, कई बार हम परिस्थितियों के इतने आदि हो जाते हैं कि बस उसी में जीना सीख लेते हैं, फिर चाहे वह परिस्थितियां बुरी ही क्यों न हों !
हम अपनी नौकरी से बहुत नफरत करते हैं पर फिर भी उसे पकड़े-पकड़े अपनी सारी ज़िन्दगी बिता देते हैं, कई बार तो हम बस इसलिए नये बिजनेस के बारे में नहीं सोचते क्योंकि हमारी मौजूदा नौकरी दाल-रोटी भर का खर्चा निकाल देती है ! पर ऐसा करने में हम कभी भी अपने पूर्ण क्षमता का सदुपयोग नहीं कर पाते हैं और बहुत से ऐसे काम करने से चूक जाते हैं जिन्हें करने की हमारे अन्दर क्षमता है और जो हमारी लाइफ को कहीं बेहतर बना सकती हैं।
सोचिये, कहीं आपकी ज़िन्दगी में भी तो कोई ऐसी भैंस नहीं है जो आपको एक बेहतर ज़िन्दगी जीने से रोक रही है... कहीं ऐसा तो नहीं कि आपको लग रहा है कि आपने उस भैंस को बाँध कर रखा है जबकि असलियत में उस भैंस ने आपको बाँध रखा है और आपको आपके बेहतर मुकाम में पहुँचने से रोक रखा है ।
अगर आपको लगे कि ऐसा है, तो आगे बढिए…हिम्मत करिए, अपनी सोच का बदलिए ; आजाद होइए… आपके पास खोने के लिए बहुत थोड़ा है पर पाने के लिए पूरा जहान है! जाइए उसे पाकर दिखाइए । आपकी बेहतर जिंदगी आपका इन्तजार कर रही है ।
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