परमात्मा और किसान - God and Farmer Hindi Story
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Saturday, 14 August 2021
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परमात्मा और किसान - God and Farmer Hindi Story
एक बार एक किसान ईश्वर से बड़ा नाराज हो गया ! क्योंकि कभी बाढ़ आ जाती, कभी सूखा पड़ जाता , कभी धूप बहुत तेज हो जाती तो कभी ओले पड़ते ! हर बार कुछ ना कुछ कारण से उसकी फसल का कुछ हिस्सा ख़राब हो जाता है
एक दिन किसान तंग आ कर ईश्वर को बुलाने की कोशिश करने लगा तब ईश्वर स्वयं उस किसान से मिलने आये
किसान ने भगवान् से कहा - हे प्रभु, आप भगवान् हैं , लेकिन ऐसा लगता है की आपको खेती-बाड़ी की ज्यादा जानकारी नहीं है ,आपसे एक प्रार्थना है कि मुझे एक साल का मौका दीजिये , जैसा मै चाहूं वैसा मौसम हो, फिर आप देखना कि कैसे मै अन्न के भण्डार भर दूंगा.
भगवान् मुस्कुराये और बोले - ठीक है, जैसा तुम चाहोगे वैसा ही मौसम होगा, मै इसमें दखल नहीं करूँगा
अब किसान बहुत खुश होता है
किसान ने गेहूं की फ़सल बोई , जब किसान ने धूप चाही तब धूप हो जाती, जब वह पानी चाहता तब वर्षा हो जाती है, तेज धूप, ओले,बाढ़ ,आंधी तो उसने आने ही नहीं दिया. समय के साथ फसल बढ़ी और किसान को ख़ुशी भी ज्यादा हुई, क्योंकि ऐसी फसल तो आज तक नहीं हुई थी .
किसान ने मन ही मन सोचा अब पता चलेगा भगवान को, की खेती कैसे करते हैं ,बेकार ही इतने साल हम किसानो को परेशान करते रहे.
फ़सल काटने का समय भी आया. किसान बड़े गर्व से फ़सल काटने के लिए गया, लेकिन जैसे ही वह फसल काटने लगा ,एकदम से छाती पर हाथ रख कर बैठ गया ! क्योंकि गेहूं की किसी भी बाली के अन्दर गेहूं का एक दाना भी नहीं था , गेंहू की सारी बालियाँ अन्दर से खाली थी,
बड़ा दुखी होकर उसने भगवान् का स्मरण किया भगवान पुनः आये तब किसान ने भगवान् से कहा - हे प्रभु ये क्या हुआ ? गेहूं की बोगियों के अंदर तो एक भी दाना नहीं है.
तब भगवान् बोले- ये तो होना ही था , तुमने पौधों को संघर्ष करने का ज़रा सा भी मौका नहीं दिया . ना तेज धूप में उनको तपने दिया , और ना ही आंधी ओलों से जूझने दिया ,उनको किसी भी चुनौती का अहसास जरा भी नहीं होने दिया , इसीलिए सब पौधे खोखले रह गए, जब आंधी आती है, तेज धुप होती है, तेज बारिश होती है ओले गिरते हैं तब पौधा अपने बल से ही खड़ा रहता है, वह अपना अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष करता है और इस संघर्ष से उनमें जो बल आता है वही उसे शक्ति देता है , उर्जा देता है, और उसकी जीवटता को उभारता है इसलिए उसमें फल लगते हैं.
सोने को भी कुंदन बनने के लिए आग में तपने , हथौड़ी से पिटने, और गलने जैसी
चुनौतियों से गुजरना पड़ता है तभी उसकी स्वर्णिम आभा उभरती है, और उसे अनमोल
बनाती है उसी तरह अगर जिंदगी में भी संघर्ष ना हो , चुनौती ना हो, तो व्यक्ति
खोखला ही रह जाता है, उसके अन्दर कोई गुण नहीं आ पाता है.
ये चुनौतियाँ ही हैं जो हमें सशक्त और प्रतिभावान बनाती हैं अगर जिंदगी में प्रखर
बनना है,प्रतिभाशाली बनना है ,तो संघर्ष और चुनोतियो का सामना तो करना ही पड़ेगा
.
चुनौतियां इंसान रूपी तलवार को धार देती हैं ,उसे सशक्त और गुणी बनाती हैं, अगर प्रतिभाशाली बनना है तो जिंदगी में आने वाली चुनोतियाँ तो स्वीकार करनी ही पड़ेंगी, अन्यथा हम खोखले ही रह जायेंगे.
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